रविंद्र भाटी का ओरण आंदोलन: महासंग्राम में कौन-कौन शामिल हुआ?
जैसलमेर में शिव विधायक रविंद्र भाटी के नेतृत्व में ओरण बचाने की जन आक्रोश रैली, हजारों युवा और साधु संत हुए शामिल, सुरक्षा के कड़े इंतजाम।

पश्चिमी राजस्थान में ‘ओरण’ को बचाने के लिए हजारों की संख्या में युवा सड़कों पर उतरे हैं. शिव के निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी के नेतृत्व में युवाओं पुरखों की ‘सांझी विरासत’ को बचाने के लिए एक स्वर में आवाज बुलंद की है. भाटी की अपील पर आयोजित इस जन आक्रोश रैली को देखते हुए पूरे जैसलमेर में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हैं. युवाओं के बीच और सोशल मीडिया में बेहद चर्चित रविन्द्र सिंह भाटी के आह्वान पर इस जन आक्रोश रैली में जैसलमेर और बाड़मेर जिले से समेत आसपास के जिलों से भी बड़ी तादाद में युवा यहां पहुंचे हैं. जन आक्रोश रैली में केवल युवा ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में साधु संत भी शामिल हो रहे हैं. विधायक भाटी ने रैली में आए युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की है...दरअसल विधायक भाटी ने लंबे समय से ‘ओरण बचाओ’ अभियान चला रखा है 5 मार्च 2024 से ओरण बचाने की मुहिम को अपने सोशल मीडिया पर चलाया हुआ है ओरण वो जमीन होती है जिसे बरसों से पुरखों ने
आमजन के हितों के लिए संरक्षित करके रखा है इसमें गांवों की वो भूमि शामिल है जो पुराने जमाने में कभी न कभी देवताओं के नाम छोड़ी गई थी पशुओं के चरने के लिए छोड़ी गई है. इसमें वन भूमि आदि भी शामिल है सीधे तौर पर कहें तो गांवों की वो जमीन जो सामाजिक सरोकारों के लिए पुरखों ने छोड़ रखी थी उसे ‘ओरण’ कहा जाता है आंदोलन की अगुवाई कर रहे भाटी का कहना है कि ओरण की इन जमीनों को विकास के नाम पर काम नहीं लिया जा सकता. ये जैव विविधता को संतुलित रखती हैं. ओरण किसी एक की नहीं बल्कि सबकी ‘सांझी धरोहर’ है. परंपराओं के अनुसार ग्रामीण ओरण में कोई गलत काम नहीं करते हैं और ना ही करने देते हैं. वे ना तो वहां के पेड़ों को काटते हैं और ना ही वहां घूमने वाले जीव जंतुओं को कोई नुकसान पहुंचाते हैं. ग्रामीणों की ओरण के प्रति गहरी आस्था होती है. यह ग्रामीणों के विश्वास, आस्था और जैव विविधता के संतुलन का प्रतीक हैं.