उम्र 75 साल जिसमें 25 साल सीएम से पीएम के पद पर रहते गुजरी मोदी की उम्र

भारतीय राजनीति का वह दिन जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक प्रचारक ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सत्ता के गलियारों में एक नया अध्याय शुरू किया। और अब, 7 अक्टूबर 2025 को नरेंद्र मोदी ने संवैधानिक पद पर रहते हुए 24 वर्ष पूरे करके 25वें वर्ष में प्रवेश कर लिया हैं।

उम्र 75 साल जिसमें 25 साल सीएम से पीएम के पद पर रहते गुजरी मोदी की उम्र

7 अक्टूबर 2001 — भारतीय राजनीति का वह दिन जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक प्रचारक ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सत्ता के गलियारों में एक नया अध्याय शुरू किया। और अब, 7 अक्टूबर 2025 को नरेंद्र मोदी ने संवैधानिक पद पर रहते हुए 24 वर्ष पूरे करके 25वें वर्ष में प्रवेश कर लिया हैं। यह उपलब्धि किसी एक नेता की राजनीतिक सफलता भर नहीं है, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक असाधारण उदाहरण बन चुकी है। मोदी ने न केवल 12 वर्ष तक गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, बल्कि लगातार तीन बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में भी जनता के बीच अपना भरोसा कायम रखा है।

वडनगर की साधारण पृष्ठभूमि से उठे नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने अपने जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक के रूप में की थी। युवावस्था में ही उन्होंने संगठन के अनुशासन, सेवा भावना और राष्ट्रवाद को अपने जीवन का आधार बनाया। संघ के संगठन कार्य से भाजपा तक की उनकी यात्रा ने उन्हें एक कुशल रणनीतिकार और जननेता के रूप में स्थापित किया। 1990 के दशक में पार्टी संगठन में उनकी योजनाबद्ध भूमिका और चुनावी प्रबंधन कौशल ने उन्हें धीरे-धीरे राष्ट्रीय नेतृत्व की पंक्ति में खड़ा कर दिया।

7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने पहली बार शपथ ली। राज्य में भूकंप की त्रासदी और राजनीतिक अस्थिरता के माहौल में उन्होंने एक नई शुरुआत की। 2002 से 2014 तक के उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल ने गुजरात को औद्योगिक विकास, निवेश और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में नई दिशा दी। “गुजरात मॉडल” की अवधारणा यहीं से जन्मी — जिसने विकास को राजनीति के केंद्र में ला दिया। ज्योति ग्राम योजना, निवेश शिखर सम्मेलन (वाइब्रेंट गुजरात), सड़क और बिजली सुधार जैसे कदमों ने उन्हें “विकास पुरुष” की छवि दी।

22 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने देश के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। यह वह क्षण था जब एक राज्य नेता राष्ट्रीय प्रतीक बन गया। उनके नेतृत्व में भाजपा को 2014 के लोकसभा चुनाव में 282 सीटों की ऐतिहासिक सफलता मिली, जिसने तीन दशकों बाद किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत दिलाया। इसके बाद 2019 में भाजपा ने 303 सीटें जीतकर इतिहास दोहराया, और 2024 में सहयोगी दलों के साथ मिलकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाई।

प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने भारत की राजनीति को नए आयाम दिए। “स्वच्छ भारत मिशन” ने देश में स्वच्छता को सामाजिक आंदोलन बनाया, “मेक इन इंडिया” ने औद्योगिक आत्मनिर्भरता का संदेश दिया, और “डिजिटल इंडिया” ने तकनीकी बदलाव की नई दिशा खोली। 2016 की नोटबंदी और जीएसटी जैसे निर्णयों ने अर्थव्यवस्था को नई संरचना देने की कोशिश की। लेकिन मोदी के शासनकाल की दो सबसे बड़ी ऐतिहासिक घटनाएँ थीं — अनुच्छेद 370 का हटना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण। ये कदम न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी निर्णायक सिद्ध हुए।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मोदी ने भारत की पहचान को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। अब तक उन्हें 27 देशों का सर्वोच्च सम्मान मिल चुका है और वे 17 देशों की संसदों में भाषण दे चुके हैं। भारत की वैश्विक भूमिका — चाहे वह G20 की अध्यक्षता हो, क्वाड गठबंधन हो या COP-समिट्स में नेतृत्व — मोदी ने भारत को “विकसित और निर्णायक राष्ट्र” के रूप में प्रस्तुत किया।

मोदी की राजनीतिक यात्रा के 24 वर्ष सिर्फ सत्ता की निरंतरता का प्रतीक नहीं, बल्कि एक जीवनदर्शन का प्रतिबिंब हैं। संघ के अनुशासन से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय की नीतिगत दृढ़ता तक, उन्होंने “सेवा ही समर्पण” को व्यवहार में उतारा। मोदी ने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर लिखा कि “2001 में आज ही के दिन मैंने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, और अब मैं जनता की सेवा के 25वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूँ। यह मेरे लिए भारत की जनता का सबसे बड़ा आशीर्वाद है।”

अब जब मोदी 75 वर्ष की आयु में अपने सार्वजनिक जीवन के 25वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, तो स्वाभाविक रूप से सवाल उठता है कि आगे का रास्ता क्या होगा। उन्होंने कुछ अवसरों पर कहा भी है कि “जब समय आएगा, मैं स्वयं पीछे हट जाऊँगा”, लेकिन अभी उनके भीतर का जनसेवक थका नहीं है। 2047 तक “विकसित भारत” के संकल्प को लेकर वे अब भी उतनी ही ऊर्जा से काम कर रहे हैं।

24 वर्षों की यह यात्रा बताती है कि मोदी सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक प्रतीक बन चुके हैं — प्रतीक दृढ़ संकल्प का, संगठन शक्ति का और उस विश्वास का कि एक सामान्य नागरिक भी असंभव को संभव बना सकता है। आज जब वे 25वें वर्ष की शुरुआत कर रहे हैं, तब पूरा देश इस बात को स्वीकार करता है कि नरेंद्र मोदी जैसा दूसरा राजनेता भारत ने अब तक नहीं देखा।