‘मेरा बस चले तो बाड़मेर को चमका दूं’- विधायक प्रियंका के बयान से जनता नाराज़

बाड़मेर की राजनीति एक बार फिर गर्म है। 2023 के विधानसभा चुनाव में जब जनता ने कांग्रेस के पुराने चेहरे मेवाराम जैन को छोड़ निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. प्रियंका चौधरी को चुना था, तो उम्मीदें दोगुनी थीं।

‘मेरा बस चले तो बाड़मेर को चमका दूं’- विधायक प्रियंका के बयान से जनता नाराज़

बाड़मेर की राजनीति एक बार फिर गर्म है। 2023 के विधानसभा चुनाव में जब जनता ने कांग्रेस के पुराने चेहरे मेवाराम जैन को छोड़ निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. प्रियंका चौधरी को चुना था, तो उम्मीदें दोगुनी थीं। लोगों को लगा था कि एक शिक्षित, आधुनिक और महिला प्रतिनिधि बाड़मेर की तस्वीर बदल देगी। लेकिन अब डेढ़ साल बाद वही जनता सवाल पूछ रही है — “क्या विधायक का बस अभी भी नहीं चलता?”

दरअसल, हाल ही में एक प्रेस वार्ता में विधायक डॉ. प्रियंका चौधरी ने कहा था, “मेरा बस चले तो मैं बाड़मेर को चमका दूं।” इस बयान ने जनता के बीच गहरी नाराज़गी पैदा कर दी। लोगों का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद भी अगर किसी विधायक का “बस नहीं चलता”, तो जनता क्या करे? पिछले तीन कार्यकालों में कांग्रेस के मेवाराम जैन का बाड़मेर शहर, जिला अस्पताल और विधानसभा क्षेत्र पर मजबूत पकड़ थी। सरकारी योजनाओं से लेकर जनता के छोटे-मोटे काम तक में उनका सीधा दखल था। वहीं, प्रियंका चौधरी के निर्दलीय होने के कारण न तो सरकार पर उनकी पूरी पकड़ है, न ही वे खुलकर सरकार की आलोचना कर पा रही हैं। यही वजह है कि जनता और कार्यकर्ता दोनों में निराशा बढ़ी है।

उधर, मेवाराम जैन की राजनीति एक बार फिर रफ्तार पकड़ती दिख रही है। अश्लील सीडी विवाद के बावजूद उनकी कांग्रेस में वापसी के बाद समर्थक लगातार सक्रिय हैं। कांग्रेस के संगठन सृजनात्मक अभियान के तहत बाड़मेर प्रवास पर पहुंचे कांग्रेस पर्यवेक्षक राजेश तिवारी से मुलाकात के दौरान सैकड़ों लोग मेवाराम जैन के साथ सर्किट हाउस पहुंचे। माहौल ऐसा था कि वरिष्ठ कार्यकर्ता और महिला प्रतिनिधि खुलकर बोले — “बाड़मेर शहर और विधानसभा में मेवाराम जैन के बिना अब कोई धणी-धोरी नहीं है।” यह बयान कांग्रेस के भीतर के समीकरणों को झकझोर गया।

कांग्रेस हाईकमान ने बाड़मेर में बढ़ती गुटबाजी को लेकर राष्ट्रीय सचिव व पर्यवेक्षक राजेश तिवारी को भेजा है। तिवारी ने स्पष्ट कहा — “जो लोग पार्टी लाइन से हटकर संगठन को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उनकी रिपोर्ट सीधे हाईकमान को जाएगी।” उनका यह संदेश उन नेताओं के लिए चेतावनी माना जा रहा है जो स्वयंभू “पार्टी के धणी” बनकर संगठन पर कब्ज़ा जमाने की कोशिश में हैं।

फिलहाल, बाड़मेर कांग्रेस दो गुटों में बंटी दिख रही है — एक ओर हरीश चौधरी, हेमाराम चौधरी और उम्मेदाराम बेनीवाल की तिकड़ी गुट, दूसरी ओर अमीन खान और मेवाराम जैन का गहलोत खेमा़। हरीश चौधरी गुट का विरोध है कि मेवाराम जैन की पार्टी में वापसी से कांग्रेस की साख पर असर पड़ा है। लेकिन हकीकत यह है कि जनता के बीच मेवाराम जैन का असर अब भी बरकरार है। उनकी सभाओं में उमड़ रही भीड़ इस बात की गवाही दे रही है कि लोग व्यक्तिगत गलती से ज्यादा राजनीतिक धोखे को बड़ा मुद्दा मान रहे हैं।