राजस्थान आएंगी MP-महाराष्ट्र की बाघिनें, वायुसेना के हेलीकॉप्टर से आएगी पहली बाघिन
राजस्थान के वन्यजीवन संरक्षण मिशन को एक नई दिशा मिलने जा रही है। रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, जो कि राज्य का तीसरा टाइगर रिजर्व है, वहां अब मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की बाघिनों की दहाड़ गूंजेगी।

राजस्थान के वन्यजीवन संरक्षण मिशन को एक नई दिशा मिलने जा रही है। रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, जो कि राज्य का तीसरा टाइगर रिजर्व है, वहां अब मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की बाघिनों की दहाड़ गूंजेगी। बाघों की नस्ल सुधार और जैव विविधता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह महत्वपूर्ण पहल की जा रही है।
वायुसेना का हेलीकॉप्टर करेगा ट्रांसपोर्ट
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पहली बाघिन को जल्द ही एयरलिफ्ट कर रामगढ़ लाया जाएगा, जिसमें भारतीय वायुसेना का विशेष हेलीकॉप्टर इस्तेमाल होगा। यह शिफ्टिंग न केवल सुरक्षा बल्कि बाघिन के स्वास्थ्य और न्यूनतम तनाव को ध्यान में रखते हुए की जा रही है।
नस्ल सुधार के लिए हो रहा प्रयोग
रामगढ़ में पहले से मौजूद नर बाघों की संख्या को देखते हुए बाघिनों की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, ताकि टाइगर रिजर्व में प्राकृतिक प्रजनन और स्वस्थ टाइगर पॉपुलेशन विकसित हो सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम आने वाले वर्षों में राजस्थान के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को मजबूती देगा।
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा हम बाघों की प्राकृतिक प्रजनन प्रक्रिया को बढ़ावा देना चाहते हैं। बाहर से लाई जा रही बाघिनें नस्ल को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी।”
रामगढ़ टाइगर रिजर्व का महत्व
- यह राजस्थान का तीसरा टाइगर रिजर्व है, जिसे हाल ही में राष्ट्रीय मान्यता मिली है।
- यह रिजर्व कोटा, बूंदी और बारां जिलों की सीमा से सटा हुआ है।
- यहां का भौगोलिक क्षेत्रफल, घना जंगल और पानी की उपलब्धता इसे बाघों के लिए आदर्श आवास बनाते हैं।
वन्यजीव प्रेमियों में उत्साह
इस खबर के सामने आते ही वन्यजीव प्रेमियों, पर्यावरणविदों और टूरिज्म इंडस्ट्री में उत्साह की लहर है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल बाघों की आबादी बढ़ेगी, बल्कि इको-टूरिज्म को भी नया जीवन मिलेगा, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार और आय के अवसर मिलेंगे।