नोबेल शांति पुरस्कार 2025 की घोषणा, वेनेजुएला की मारिया कोरेलिना मचाडो को मिला पुरस्कार, राष्ट्रपति ट्रंप देखते रह गए सपना

नोबेल शांति पुरस्कार 2025 की घोषणा हो गई है और इस बार यह सम्मान वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरेलिना मचाडो को दिया गया है। मचाडो को यह पुरस्कार अपने देश में लोकतंत्र की बहाली, मानवाधिकारों की रक्षा और शांतिपूर्ण राजनीतिक बदलाव की दिशा में दो दशकों से जारी संघर्ष के लिए दिया गया है।

नोबेल शांति पुरस्कार 2025 की घोषणा, वेनेजुएला की मारिया कोरेलिना मचाडो को मिला पुरस्कार, राष्ट्रपति ट्रंप देखते रह गए सपना

नोबेल शांति पुरस्कार 2025 की घोषणा हो गई है और इस बार यह सम्मान वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरेलिना मचाडो को दिया गया है। मचाडो को यह पुरस्कार अपने देश में लोकतंत्र की बहाली, मानवाधिकारों की रक्षा और शांतिपूर्ण राजनीतिक बदलाव की दिशा में दो दशकों से जारी संघर्ष के लिए दिया गया है।
मचाडो, वेनेजुएला के तानाशाह राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के खिलाफ सबसे मुखर विपक्षी चेहरा रही हैं। वह लगातार राजनीतिक दमन, सैन्य हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं। नोबेल कमेटी ने उन्हें “लोकतांत्रिक मूल्यों की एक मजबूत प्रतीक” बताया है।

नोबेल समिति की प्रतिक्रिया
नोबेल समिति ने कहा कि आज जब दुनिया के कई हिस्सों में तानाशाही बढ़ रही है और लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, ऐसे समय में मारिया मचाडो जैसे लोगों की हिम्मत उम्मीद जगाती है। समिति ने कहा- लोकतंत्र ही स्थायी शांति की शर्त है। जब सत्ता हिंसा और डर के जरिए जनता को दबाने लगती है, तो ऐसे साहसी लोगों को सम्मान देना जरूरी हो जाता है।


ट्रंप को फिर नहीं मिला नोबेल
तमाम कोशिशों के बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो खुद को "शांति का दूत" बताते रहे हैं, उन्हें इस साल भी नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला। जिससे सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो रही है तो कहीं मीम्स बनने शुरु हो गए हैं।
उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान उत्तर कोरिया के साथ बातचीत, इजरायल-अरब देशों के बीच अब्राहम समझौते, और अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी को अपनी उपलब्धियां बताया था और कई बार खुद के लिए नोबेल की मांग भी की थी।

मारिया मचाडो का संघर्ष
1. मचाडो 2002 से सक्रिय राजनीति में हैं और उन्होंने 2004 में "सुमाते" नामक NGO के जरिए चुनावी पारदर्शिता की मुहिम शुरू की।
2. वेनेजुएला में चुनावों में धांधली, मानवाधिकार उल्लंघन और लोकतंत्र के क्षरण के खिलाफ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी आवाज उठाई।
3. मचाडो को कई बार गिरफ्तार किया गया, नजरबंद रखा गया, यहां तक कि चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहा।

मचाडो को कई पुरस्कार मिल चुके
1. 2025 में लोकतंत्र की लड़ाई लड़ने के लिए नोबेल पीस प्राइज मिला।
2. 2024 सखारोव पुरस्कार: यूरोपीय संसद ने उन्हें और एडमुंडो गोंजालेज को लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह पुरस्कार दिया।
3. 2024 वाच्लाव हावेल मानवाधिकार पुरस्कार: काउंसिल ऑफ यूरोप ने मानवाधिकारों के लिए उनकी मेहनत को सम्मानित किया।
4. 2025 करेज अवॉर्ड: जेनेवा समिट फॉर ह्यूमन राइट्स ने उन्हें और गोंजालेज को यह पुरस्कार दिया।
5. 2018 बीबीसी सम्मान: बीबीसी ने उन्हें दुनिया की 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शामिल किया।