अमेरिका के लिए भस्मासुर बने ट्रंप, टैरिफ ने अमेरिका को कैसे किया बर्बाद, गिरने वाली है ट्रंप सरकार
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को झटका दिया है। महंगाई, बेरोजगारी और मंदी की आशंका से ट्रंप सरकार पर संकट गहराया।

ट्रंप के टैरिफ नीति ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को गंभीर संकट में डाल दिया है। 2025 में दूसरी बार राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप ने "अमेरिका फर्स्ट" की नीति के तहत कई देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाए, लेकिन ये कदम उल्टे पड़ गए हैं।
आपको विस्तार से समझात हैं कि अमेरिका कैसे "फंस गया" है ट्रंप ने फरवरी 2025 से ही व्यापार घाटे, फेंटेनिल ड्रग्स की तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर टैरिफ शुरू किए
1. कनाडा और मैक्सिको पर 25% अतिरिक्त टैरिफ (IEEPA कानून के तहत, आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल)
2. चीन पर 10% से शुरू होकर 145% तक टैरिफ
3. भारत पर 50% टैरिफ (25% व्यापार घाटे के लिए + 25% रूस से तेल खरीदने के "जुर्माने" के रूप में, अगस्त 2025 से लागू)
4. अन्य देशों जैसे जापान (15%), यूरोपीय संघ, ब्राजील आदि पर भी 10-50% तक
5. स्टील, एल्यूमीनियम, कारों, फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर जैसे सेक्टर्स पर 50% तक टैरिफ लगाया
ट्रंप ने दावा किया था कि ये टैरिफ अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देंगे, राजस्व बढ़ेगा (2025 में टैरिफ से 5% फेडरल राजस्व) और विदेशी देशों को मजबूर करेंगे। लेकिन वास्तविकता कुछ और निकली
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर असर
टैरिफ ने आयात महंगा कर दिया, जिससे कंपनियां लागत उपभोक्ताओं पर डाल रही हैं ..
अमेरिका पर प्रमुख प्रभाव
1. महंगाई में उछाल: अगस्त 2025 में CPI 2.9% बढ़ा, जो ट्रंप के टैरिफ से प्रेरित है। फर्नीचर, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स और कच्चे माल (स्टील, एल्यूमीनियम) की कीमतें 10-20% ऊपर। IMF ने वैश्विक विकास अनुमान घटाकर 3% कर दिया
2. नौकरियां और विकास में गिरावट: अगस्त में सिर्फ 22,000 नौकरियां बनीं (4 साल का न्यूनतम), जबकि जून में संकुचन (-0.5% GDP)3. टैरिफ-प्रभावित सेक्टर्स - मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और ट्रांसपोर्ट में नौकरियां घटीं, Penn Wharton मॉडल के अनुसार, GDP 8% और मजदूरी 7% कम हो सकती है। मध्यम वर्ग का परिवार $58,000 का नुकसान
नौकरी के अवसर घटे, बेरोजगारी बढ़ी
टैरिफ वॉर के बाद अमेरिका में सिर्फ महंगाई ही नहीं बढ़ी है। बल्कि रोजगार के अवसर भी घटे हैं। अमेरिका में रोजगार के मोर्चे पर भी हालात बिगड़े हैं। बेरोजगारी भत्ते के लिए नए दावे 27,000 बढ़कर 2,63,000 पर पहुंच गए, जो 2021 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। मई और जून के आँकड़ों में भी कुल 2,58,000 नौकरियों की कटौती का संशोधन किया गया है। इसका मतलब है कि बेरोजगारी दर में तेजी से उछाल आया है।
मंदी की आशंका
महंगाई बढ़ने और रोजगार के अवसर में गिरावट का यह मेल “ आर्थिक मंदी” का डर पैदा कर रहा है, जो 1970 के दशक के बाद अब फिर दिखने लगा है। आम तौर पर जब अर्थव्यवस्था धीमी होती है तो महंगाई घटती है, लेकिन इस बार टैरिफ यानी आयात शुल्क ने लागत बढ़ा दी है। इससे अमेरिका में मंदी आने की आशंका लगाई जाने लगी है
अब ट्रंप के पास क्या बचा है विकल्प?
टैरिफ वॉर के बाद अमेरिका के खिलाफ जिस तरह से दुनिया के कई देश एक साथ लामबंद हुए हैं, वो अमेरिका के लिए खतरे की घंटी है। ऐसे में अब वक्त आ गया है कि ट्रंप अपनी नीतियों पर फिर से साचे और टैरिफ नीति में ढील दें। इसके संकेत वैसे आने भी लगे हैं। भारत के प्रति ट्रंप के सुर बदल गए हैं। अगर ट्रंप टैरिफ नीति को फिर से सही करते हैं तो अमेरिका में महंगाई घट सकती है। वहीं, दूसरी ओर फेड सावधानी से दरें घटाए तो जॉब मार्केट में भी तेजी आ सकती है। लेकिन अगर दोनों ही मोर्चों पर गलत कदम उठे तो 1970 की तरह गंभीर मंदी लौट सकती है।