पूर्व सांसद कैलाश चौधरी क्यों करवा रहे सांसद खेल महोत्सव ?
पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद कैलाश चौधरी की है, जो अब सांसद पद पर नहीं हैं, फिर भी अपने संसदीय क्षेत्र में “सांसद खेल महोत्सव 2025” का आयोजन करा रहे हैं।

बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा संसदीय क्षेत्र में इस बार एक अलग तरह की चर्चा है—यह चर्चा किसी मौजूदा सांसद की नहीं, बल्कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद कैलाश चौधरी की है, जो अब सांसद पद पर नहीं हैं, फिर भी अपने संसदीय क्षेत्र में “सांसद खेल महोत्सव 2025” का आयोजन करा रहे हैं। आमतौर पर सांसद खेल महोत्सव केंद्र सरकार की एक पहल होती है, जिसे मौजूदा सांसद अपने क्षेत्र में आयोजित करवाते हैं। इसका उद्देश्य ग्रामीण व शहरी युवाओं में खेल भावना और फिटनेस संस्कृति को बढ़ावा देना है। लेकिन इस बार बाड़मेर में यह आयोजन एक अनोखी वजह से सुर्खियों में है—क्योंकि इसे एक ऐसे व्यक्ति ने आयोजित करने का जिम्मा उठाया है, जो अब सांसद नहीं हैं।
दरअसल, कैलाश चौधरी ने 2019 से 2024 तक सांसद रहते हुए इस खेल महोत्सव की परंपरा शुरू की थी। उनके प्रयासों से संसदीय क्षेत्र के हर कोने में कबड्डी, वॉलीबॉल, खो-खो, कुश्ती, रस्साकशी, शतरंज, एथलेटिक्स जैसे खेलों की प्रतियोगिताएं आयोजित होती थीं, जिनमें हजारों खिलाड़ी और युवा भाग लेते थे। अब जब वे 2024 का लोकसभा चुनाव हार गए और सांसद पद पर नहीं रहे, तब भी उन्होंने इस परंपरा को रुकने नहीं दिया। कैलाश चौधरी का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में उन्होंने खेल के माध्यम से जो उत्साह और जोश जगाया है, उसे किसी भी हालत में ठंडा नहीं पड़ने देना चाहिए। इसलिए उन्होंने कार्यकर्ताओं, समर्थकों, भामाशाहों और अपने निजी संसाधनों के सहयोग से सांसद खेल महोत्सव 2025 को जारी रखने का फैसला लिया है।
इस महोत्सव का कार्यक्रम भी तय कर दिया गया है। बायतु विधानसभा क्षेत्र में 12 से 17 अक्टूबर, चौहटन में 15 से 20 अक्टूबर, बाड़मेर में 18 से 25 अक्टूबर, पचपदरा में 23 से 28 अक्टूबर, गुड़ामालानी में 5 से 10 नवंबर, शिव में 8 से 13 नवंबर, सिवाना में 11 से 16 नवंबर और जैसलमेर में 14 से 19 नवंबर तक प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए संयोजक भी घोषित किए गए हैं—बाड़मेर में पृथ्वी चांडक, गुड़ामालानी में जयकिशन भादू, पचपदरा में अमराराम सुंदेशा, बायतु में गिरधारीराम सांई, शिव में पूरसिंह, चौहटन में देवीलाल खांगट, सिवाना में सोहन सिंह भायल और जैसलमेर में सवाई सिंह गोगली को जिम्मेदारी दी गई है।
जानकारी के अनुसार, यह प्रतियोगिता पहले मंडल स्तर पर हो चुकी है, अब विधानसभा स्तर पर होगी और अंत में पूरे लोकसभा क्षेत्र में अंतिम मुकाबला होगा, जिसमें विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया 21 सितंबर से 25 दिसंबर 2025 तक चलेगी। खास बात यह है कि आयोजन की जिम्मेदारी स्थानीय संयोजकों और भाजपा मंडल अध्यक्षों को सौंपी गई है, ताकि खिलाड़ी आसानी से उनसे संपर्क कर सकें।
कानूनी रूप से सांसद खेल महोत्सव एक सरकारी योजना है, जिसे खेल मंत्रालय और खेल प्राधिकरण (Sports Authority of India) के सहयोग से संचालित किया जाता है। फंडिंग, पुरस्कार, और कार्यक्रम संचालन की जिम्मेदारी मौजूदा सांसद के कार्यालय व स्थानीय प्रशासन पर होती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब कैलाश चौधरी अब सांसद नहीं हैं, तो वे यह आयोजन कैसे करवा रहे हैं? विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसमें सरकारी फंड या सरकारी संसाधनों का उपयोग नहीं हो रहा है, तो पूर्व सांसद अपने निजी संसाधनों और सहयोग से ऐसा आयोजन कर सकते हैं। इस स्थिति में यह एक “निजी सार्वजनिक पहल” के रूप में देखा जाएगा, जो गैरकानूनी नहीं है।
राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो कैलाश चौधरी की यह पहल सिर्फ खेल प्रेम नहीं, बल्कि एक रणनीतिक कदम भी मानी जा रही है। बाड़मेर-जैसलमेर जैसे विशाल संसदीय क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता और जमीनी पकड़ अभी भी मजबूत है। भाजपा में इस क्षेत्र से कोई और बड़ा जाट नेता नहीं उभर पाया है, जबकि कांग्रेस के पास हरीश चौधरी, हेमाराम चौधरी और उम्मेदाराम बेनीवाल जैसे तीन मजबूत चेहरे हैं। ऐसे में कैलाश चौधरी के लिए मैदान में बने रहना, जनता से संवाद बनाए रखना और संगठन में सक्रियता बनाए रखना राजनीतिक दृष्टि से बेहद जरूरी है।
कैलाश चौधरी की पहचान एक ईमानदार, कर्मठ और जमीन से जुड़े नेता के रूप में रही है। वे आरएसएस से जुड़े रहे हैं और भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बायतु से विधायक और फिर सांसद तथा केंद्रीय मंत्री बन चुके कैलाश चौधरी आज भी बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र के लोगों में लोकप्रिय हैं। उनके जनसुनवाई कार्यक्रमों में भीड़ आज भी उसी तरह जुटती है जैसे तब जब वे मंत्री थे।
कुल मिलाकर, यह “सांसद खेल महोत्सव 2025” केवल खेल का आयोजन नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत है—कैलाश चौधरी यह बताना चाहते हैं कि हार के बावजूद उनका जनसंपर्क, जनाधार और जनसेवा रुकी नहीं है। यह आयोजन उन्हें जनता के बीच सक्रिय रखेगा, कार्यकर्ताओं में उत्साह बनाए रखेगा और आने वाले चुनावों के लिए जमीन तैयार करेगा। बाड़मेर की राजनीति में फिलहाल यह खेल मैदान पर खेला जा रहा है, लेकिन असली खेल शायद आने वाले वर्षों की राजनीति में दिखेगा।