राजस्थान कांग्रेस में जिला अध्यक्षों को लेकर हलचल तेज, मुस्लिम वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की उठी मांग

राजस्थान में कांग्रेस संगठन की नई टीम को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हैं। जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर जनमत सर्वेक्षण जारी है और पार्टी के आब्जर्वर निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार करने में जुटे हैं।

राजस्थान कांग्रेस में जिला अध्यक्षों को लेकर हलचल तेज, मुस्लिम वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की उठी मांग

राजस्थान में कांग्रेस संगठन की नई टीम को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हैं। जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर जनमत सर्वेक्षण जारी है और पार्टी के आब्जर्वर निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार करने में जुटे हैं। इस बीच राजधानी जयपुर सहित कई जिलों में मुस्लिम वर्ग को संगठन में प्रतिनिधित्व देने की मांग ने राजनीतिक चर्चा को गरमा दिया है।

 जयपुर में मुस्लिम चेहरा जिला अध्यक्ष बनाने की मांग तेज

जयपुर में कांग्रेस के भीतर मुस्लिम चेहरा जिला अध्यक्ष बनाए जाने की जोरदार मांग उठी है। यह मांग केवल जातीय संतुलन की दृष्टि से नहीं, बल्कि चुनावी प्रदर्शन के आधार पर भी की जा रही है। जयपुर में मुस्लिम आबादी का अच्छा-खासा प्रभाव है और यहां से कांग्रेस के दो मुस्लिम विधायक – अमीन कागजी और रफीक खान – लगातार चुनाव जीतते आए हैं।

इन दोनों विधायकों ने सिर्फ अल्पसंख्यक इलाकों में ही नहीं, बल्कि हिंदू बहुल क्षेत्रों में भी अच्छा जन समर्थन प्राप्त किया है, जिससे यह तर्क और मजबूत हुआ है कि कांग्रेस को संगठनात्मक रूप से भी मुस्लिम समाज को उचित प्रतिनिधित्व देना चाहिए।

 इतिहास भी कांग्रेस के साथ

जयपुर शहर कांग्रेस में पहले भी शाह इकरामुद्दीन और सलीम कागजी जैसे मुस्लिम नेता जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। खासकर सलीम कागजी ने लंबे समय तक DCC अध्यक्ष का पद संभालते हुए संगठन को मज़बूती दी थी।

 एक दर्जन मुस्लिम चेहरों को मिल सकता है मौका

सूत्रों के अनुसार, राजस्थान में कांग्रेस संगठन में करीब एक दर्जन मुस्लिम जिला अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है। इसके पीछे पार्टी की रणनीति साफ नजर आ रही है – परंपरागत वोट बैंक को फिर से मजबूत करना और अल्पसंख्यक वर्ग में संगठन की पकड़ को और धार देना।

इसके अलावा, जिला और ब्लॉक स्तर पर भी मुस्लिम समाज से बड़ी संख्या में नियुक्तियां हो सकती हैं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि भले ही पार्टी राजस्थान में सत्ता में नहीं आ पाई, लेकिन मुस्लिम वर्ग ने कांग्रेस को काफी समर्थन दिया है, और अब वक्त है उन्हें संगठनात्मक हिस्सेदारी देने का।