डॉ सतीश पूनियां की पुस्तक ‘अग्निपथ नहीं जनपथ’ का विमोचन, राज्यपाल कटारिया बोले मैं सोने के पिंजरे में कैद
जयपुर में रविवार को बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और हरियाणा प्रभारी डॉ. सतीश पूनियां की पहली पुस्तक ‘अग्निपथ नहीं जनपथ' का विमोचन हुआ।

जयपुर में रविवार को बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और हरियाणा प्रभारी डॉ. सतीश पूनियां की पहली पुस्तक ‘अग्निपथ नहीं जनपथ' का विमोचन हुआ। यह आयोजन कांस्टीट्यूशन क्लब में हुआ जहां सियासत, संवाद और सियासी चुहलबाज़ी सब कुछ एक साथ देखने को मिला।
मंच पर पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ और भीलवाड़ा जिला प्रमुख बरजी बाई भील मौजूद रहे। कार्यक्रम में सबसे ज़्यादा चर्चा सांप डसने वाली राजनीति की हुई, जिसे लेकर नेताओं ने मंच से हंसी-मज़ाक में एक-दूसरे पर तंज कसे।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनियां के साथ मेरा नाम भी जोड़ लीजिए, हम तीनों ही सियासत के इस सांप-सीढ़ी वाले खेल में फिसले हैं। पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने अपने संबोधन में कहा कि लोकतंत्र की खूबसूरती इसी में है कि नेता हर वक्त अग्निपरीक्षा देने को तैयार रहे। उन्होंने कहा कि हमारी पहचान पद से नहीं, जनता के बीच के कार्यकर्ता से है। पद आज है कल चला जाएगा लेकिन कार्यकर्ता की पहचान कोई नहीं मिटा सकता। मैं महामहिम बन गया तो क्या जनता से दूर हो जाऊं? कार्यकाल खत्म होते ही मैं फिर से कार्यकर्ता हो जाऊंगा। सबको लगता है मेरे मजे हैं लेकिन मुझे सोने के पिंजरे में क़ैद कर दिया है।
सतीश पूनियां ने कहा कि राजनीतिज्ञों के बारे में यह आम धारणा है कि वे पढ़े-लिखे नहीं होते, लेकिन यह सही नहीं है। उन्होंने कहा मुझे पढ़ने और लिखने का शौक है, यह किताब मेरे विधायक कार्यकाल के अनुभवों का संकलन है। जिसमें राजनीति के संघर्ष, जनसेवा और संवाद की झलक है। राजनीति में नॉलेज, संवाद और संवेदना तीनों की समान ज़रूरत है।