मण्डी कर्मचारियों ने निकाली रैली, मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

रीवा | मण्डी अधिनियम में किए गए संशोधन के विरोध में मण्डी के कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। गुरुवार को करहिया मण्डी से कर्मचारियों, अधिकारियों ने एक रैली निकालकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे, जहां पर उन्होंने अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपकर यह भी बताया है कि अगर समयावधि में उपरोक्त मांगें पूरी नहीं की जाती हैं तो 21 जुलाई को प्रदेश के सभी कृषक, व्यापारी, हम्माल, तुलावटी, मण्डी बोर्ड के अधिकारी, कर्मचारी द्वारा विधानसभा का घेराव किया जाएगा।

संयुक्त संघर्ष मोर्चा मण्डी बोर्ड की जिला इकाई रीवा के अध्यक्ष विष्णु पाण्डेय द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि 1 मई 2020 को मॉडल एक्ट लागू करने का अध्यादेश जारी किया गया है किन्तु उसके विस्तृत नियम, दिशा निर्देश अभी तक जारी नहीं हुए हैं। उक्त मॉडल एक्ट वर्तमान में क्रियाशील नहीं है। केन्द्र सरकार द्वारा 5 जून से कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश जारी किया गया है किन्तु राज्य शासन द्वारा आज तक उक्त अध्यादेश के अंगीकृत करने संबंधी कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।

बताया गया है कि मण्डी अधिनियम 1972 में निहित शक्तियों के तहत मण्डी समितियों के द्वारा मण्डी प्रांगण एवं मण्डी क्षेत्र में अधिसूचित कृषि उपज क्रय-विक्रय पर नियमन एवं नियंत्रण की जा रही है। ऐसे में प्रशासन स्तर पर दोनों अध्यादेशों को मनमर्जी से परिभाषित कर अराजकता की स्थिति निर्मित की जा रही है। 

बताया गया है कि इसमें प्रभावित कृषक, व्यापारी, हम्माल, तुलावटी एवं मण्डी बोर्ड के अधिकारी, कर्मचारियों को शासन स्तर पर बनाई गई नियम निमात्री समिति में भी शामिल नहीं किया गया है। बताया गया है कि सीध्ीा खरीदी करने वाला क्रेता व्यापारी से समर्थन मूल्य पर खरीदी एवं विक्रय उपज का भुगतान के लिए सुनिश्चितता भी संभव नहीं है। वहीं मंडी के अंदर मंडी फीस नहीं देनी पड़ेगी, ऐसे में आय घटने पर कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ेंगे। संयुक्त संघर्ष मोर्चा द्वारा यह मांग की गई है कि मण्डी बोर्ड के कर्मचारियों को शासकीय सेवक के रूप में लिया जाए।