लक्ष्मण बाग संस्थान की भूमि पर 31 लोगों का अवैध कब्जा

रीवा | वर्षों से किए गए लक्ष्मण बाग संस्थान की भूमि पर अवैध कब्जा अब तक नहीं हटाया गया है। वर्ष 2017 में की गई कमिश्नर के पास शिकायत में लक्ष्मण बाग की भूमियों का विधिवत सीमांकन कराया गया था। जिसमें अतिक्रमण करने वाले लोगों की सूची भी जारी की गई थी। मिशन माफिया अभियान में भी इन लोगों से लक्ष्मण बाग की भूमि को खाली नहीं कराया जा सका। तीन वर्ष पूर्व उक्त संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला द्वारा कमिश्नर को शिकायत भी की गइ्र थी जिसके बाद कमिश्नर द्वारा कलेक्टर को लिखे गए पत्र में लक्ष्मण बाग संस्थान की भूमि पर अतिक्रमण हटाए जाने के निर्देश दिए गए थे।

गौर करने वाली बात यह है कि कमिश्नर के आदेश पर तहसीलदार हुजूर द्वारा मौके पर स्थल पंचनामा भी किया गया था। जिनमें समस्त भूमियों का सीमांकन राजस्व निरीक्षक गिर्द एवं हल्का पटवारी रीवा 23 तथा हल्का पटवारी करहिया निपनिया, सगरा, लौआ उर्फ लक्ष्मणपुर के द्वारा किया गया था। कृषकों एवं लक्ष्मण बाग ट्रस्ट के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में विधिवत सीमा बताई गई थी। बावजूद इन भूमियों को जिला प्रशासन खाली नहीं करा पाया है। 

कब्जे में यह हैं जमीनें
लक्ष्मण बाग संस्थान की ऐसी जमीन जो लोगों द्वारा कब्जा कर खेती की जा रही है तथा उस पर मकान एवं दुकानों का निर्माण किया गया है। उनमें आराजी नंबर 1053, 1055, 1056, 1057, 1058, 1059, 1060, 1061, 1062, 1063, 1067, 1069, 1070, 1071, 1072, 1073, 1074, 1075, 1212, 1215 एवं 1216 की भूमियां हैं जिनका सीमांकन कर सीमा बनाई गई थी।

इनके द्वारा किया गया कब्जा
लक्ष्मण बाग संस्थान में शहर की भूमियों का जिन लोगों ने अतिक्रमण किया है। उनमें रामचंद्र, शंकर, मुन्ना, श्याम पिता छोटेलाल, अनिल वर्मा, विजय कुमार पिता महावीर, केसरी पिता गंगा प्रसाद, भगवानदीन पिता सरयू प्रसाद, रामदीन, संतोष पिता सरयू प्रसाद, घनश्याम पिता श्याम सुंदर, गणेश, लच्छू, शिव, रामनाथ, बिहारीलाल पिता राजकरण, रामदास पिता शारदा प्रसाद, लक्ष्मण प्रसाद, भारत, शत्रुधन, रामानुज पिता शारदा प्रसाद, नंदलाल पिता गुरुशरण दुबे, रमेश पिता गुरुशरण, बृजेश, उमेश पिता रामावतार, रामावतार पिता दशरथ, रामाधार पिता दशरथ, जानकी नारायण पिता रामनारायण, श्यामकली पति दिनेश, कुलदीप सिंह पिता वंशबहादुर सिंह, संतोष मिश्रा, अशोक पिता रामावतार, मंगल पिता रामधनी, रामदास पिता देवशरण, रामलाल चतुर्वेदी पिता रामसजीवन चतुर्वेदी हैं।

जिनके द्वारा जमीन में कब्जा कर या तो मकान बनाए गए हैं या उन पर खेती की जा रही है। ताज्जुब की बात यह है कि वर्षों से चले आ रहे इस कब्जे को न तो जिला प्रशासन हटा सका है और न ही लक्ष्मण बाग संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा अपनी संपत्तियों को हटाने के लिए विशेष रूप से रुचि नहीं ली गई है। यही वजह है कि अरबों रुपए की संपत्ति का दूसरे लोग उपभोग कर रहे हैं।