मिलावट: जांच के लिए राज्य प्रयोगशाला गए तेल के नमूने
सतना | जिस मिलावटी तेल को अलसी का बताया गया उसमें कितनी मात्रा में मिलावट किया गया है इसकी जांच कराई जाएगी। तेल में मानक-अमानक की पतासाजी कराने खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने मिल से लिए गए नमूनों को राज्य प्रयोगशाला भोपाल भेजा गया है। जिसकी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह पुख्ता हो सकेगा कि तेल में मिलावट का स्तर क्या है। हालांकि तेल पूरी तरह से शुद्ध नहीं है ये तो पहले ही तय हो चुका है जिसके बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने मिल संचालक कैलाश नाथ गुप्ता के खिलाफ कोलगवां थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई है। गौरतलब है कि बिना एफएसएसएआई के लाइसेंस ही मिल में तेल बनाकर बेंचा जा रहा था।मंगलवार की देर रात उक्त मिल में कोलगवां कोतवाल भी जांच के लिए पहुंचे थे।
जानकार बताते हैं कि कैलाश नाथ गुप्ता के मिल से जब्त किया गया तकरीबन 18 सौ लीटर खाद्य तेल का स्टॉक फिलहाल भले ही सरकारी संपत्ति होने के बाद भी संचालक के ही सुपुर्दगी में है लेकिन उसका उपयोग कैलाश नाथ गुप्ता नहीं कर सकता है। सेंपल की रिपोर्ट यदि ठीक है तो तेल उसे मिल सकता है और यदि रिपोर्ट अमानक आई तो अदालत से तेल गुप्ता को मिल सकता है लेकिन खाद्य पदार्थ के तौर पर नहीं। उक्त तेल को खाने में इस्तेमाल नहीं यिा जा सकता है। अफसरों का दावा है कि जिस तरह के हालात तेल मिल के अंदर मिले थे उस जगह में बना तेल मानव स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है।
फिर भी 420 का मुकदमा नहीं
कैलाश नाथ गुप्ता द्वारा बिना लाइसेंस के कारखाने में बना तेल बेंचा गया जिसकी गुण्वत्ता की जांच कभी नहीं हुई। गुणवत्ता की जांच के लिए तो राज्य प्रयोगशाला भोपाल में सेंपल भेजे जा चुके हैं पर कोलगवां थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर में मिल संचालक के खिलाफ ग्राहकों को गुमराह करने के आरोप में धारा 420 का प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है। जबकि कई तरह के नाम से एक ही तेल को बेंचना पाया गया जो पुलिस कर्मियों के सामने का मामला है और कई ब्रांड के तेल से भरे टिन को जब्त भी किया गया है। हालांकि पुलिस ने अपराध क्रमांक 165/21 धारा 269, 272, 273 आइपीसी के तहत मामला दर्ज किया है।
पुराना है कारखाना नहीं दिए दस्तावेज
कैलाश नाथ गुप्ता का तेल कारखाना पुराना है हालांकि संचालक ने अफसरों को गुमराह करने का प्रयास किया पर मिल के हालात देखने के बाद अंदाजा लगाया गया कि पांच साल से अधिक समय से मिल संचालन का काम हो रहा है पर संचालक ने दो साल ही बताए हैं। कारखाना कब से चल रहा है इसकी पुष्टि के लिए जब खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने बिजली का बिल मांगा और लाइसेंस दिखाने की बात कही तो कैलाश नाथ गुप्ता ने कोई दस्तावेज नहीं दिए, जबकि लाइसेंस तो है ही नहीं। बड़ा सवाल है कि इतने सालों से शहर के अंदर तेल का बड़ा कारखाना संचालित है और इसकी भनक तक किसी को नहीं हुई। या फिर पहले के अफसरों ने इसे अपने लाभ के लिए नजरअंदाज करने की आदत पाल ली।
इसलिए हुई एफआईआर
टिकुरिया टोला क्षेत्र में संचालित तेल मिल संचालक कैलाश नाथ गुप्ता के खिलाफ मिल में छापे के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने कोलगवां थाने में एफआईआर दर्ज कराई,मुकदमा एफएसओ सीमा पटेल के आवेदन पर दर्ज हुआ। इसकी वजह ये बताई जा रही है कि तेल कारखाने में गंदगी का अंबार था और खाद्य पदार्थ बनाने में जो सावधानी और नियमों का पालन करना चाहिए वो कारखाने के अंदर नहीं पाया गया है। गंदगी ऐसी कि तेल का टैंक तक पूरा खुला हुआ था जिसमें कचरा और जीव जंतु गिर सकते हैं,लेकिन उसको ढंक कर भी नहीं रखा गया था। इसके अलावा ग्राहकों को गुमराह करने का भी मामला सामने आया। फिर सबसे बड़ा गुनाह ये कि बिना एफएसएसएआई के लाइसेंस लिए ही तेल मिल का संचालन किया गया और बाजार में तमाम तरह के ब्रांड का लेबिल लगाकर मार्केट में एक ही तेल मिल का तेल बेचा गया।