सरकार : करोड़ों पौधे लगाएंगे हकीकत : पुराने पेड़ भी कट रहे
5 साल में 50 करोड़ पौधे कागजों पर या जमीन पर ?

राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने हरियाली बढ़ाने के लिए “एक पेड़ माँ के नाम”, “वृक्ष महोत्सव” और “हरियालो राजस्थान” जैसे बड़े अभियानों की शुरुआत की है। सरकार का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में 50 करोड़ पौधे लगाने का है, जिसके लिए इस साल 10 करोड़ पौधों का लक्ष्य रखा गया। वन विभाग को इसके लिए 1,475 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान मिला है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पिछले साल 7.5 करोड़ पौधे लगाए गए थे और इस बार 10.21 करोड़ पौधारोपण का आंकड़ा पार हो चुका है। हरियाली तीज के दिन मात्र एक दिन में ढाई करोड़ पौधे लगाने का रिकॉर्ड भी सरकार के प्रचार में शामिल है।
हालाँकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस अभियान की असली सफलता सिर्फ लगाए गए पौधों की संख्या से नहीं, बल्कि उनकी जीवित रहने की दर और लंबे समय तक संरक्षण से तय होगी। इस मिशन में शिक्षा विभाग को भी जोड़ा गया है और विद्यार्थियों व शिक्षकों को प्रतिदिन 10–15 पौधे लगाने का जिम्मा सौंपा गया है। कई जगह इसे अंक और जिम्मेदारी से जोड़ दिया गया, लेकिन स्कूलों में न तो पर्याप्त जगह है और न ही पौधों की देखरेख के लिए अलग बजट। इससे शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा है और कई संगठनों ने इसे शैक्षिक कार्यों को बाधित करने वाला कदम बताया है।
पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर जैसे इलाकों में इस अभियान के तहत लाखों पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया। उदाहरण के तौर पर, बाड़मेर में एक ही दिन में दो लाख पौधे लगाने का कार्यक्रम हुआ। लेकिन यहाँ भी बड़ी चुनौती पौधों के संरक्षण और देखभाल की ही है। वहीं दूसरी तरफ, सोलर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए ओरण और गोचर जैसी परंपरागत सामुदायिक भूमि पर खेजड़ी, जाल, रोहिड़ा जैसे सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को काटा जा रहा है। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों, विशेषकर शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने इसका विरोध किया है और सरकार व कंपनियों की मिलीभगत पर सवाल उठाए हैं।
कुल मिलाकर, राजस्थान सरकार का पौधारोपण अभियान महत्वाकांक्षी और व्यापक है। यह जनता को जोड़ने वाला और पर्यावरणीय चेतना बढ़ाने वाला कदम है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसके परिणाम टिकाऊ तभी होंगे जब पौधों की निगरानी, संरक्षण और स्थानीय पारिस्थितिकी का ध्यान रखा जाएगा। वरना करोड़ों पौधे लगाने के सरकारी दावे केवल कागजों और पोस्टरों तक सीमित रह जाएंगे, जबकि धरती पर खेजड़ी जैसे सैकड़ों साल पुराने पेड़ जलकर राख होते रहेंगे।