मार्कफेड ने जितने की ली उधारी खाद, उससे कम पाया भुगतान
सतना | जिले के किसानों को उधारी में खाद उपलब्ध कराने वाली सहकारी समितियों और सहकारी बैंक पर मार्कफेड की देनदारी में कमी तो आई है पर उसे संतोष जनक नहीं माना जा रहा। इसका प्रमुख कारण धान उपार्जन करने वाले किसानों से कर्ज की वसूली का कम होना माना जा रहा है। माना जा रहा है कि अब मार्च के आखिरी सप्ताह शुरू होने वाले गेहूं उपार्जन के बाद बैंक के सर से कर्ज का बोझ कम होगा।
मालूम हो कि बैंक को वर्तमान में करीब 15 करोड़ रुपये का भुगतान मार्कफेड को करना है। हालांकि खरीब सीजन के दौरान यह बोझ 23 करोड़ के करीब पहुंच गया था पर धीरे-धीरे करके बैंक ने इस देनदारी को कम किया है। अधिकारियों का कहना है कि बैंक हर हफ्ते 1 करोड़ दे रहा है और पहली फरवरी को ही 1 करोड़ 18 लाख का भुगतान मिला है।
जिला सहकारी बैंक के माध्यम से मार्कफेड द्वारा सहकारी समितियों को उधारी में खाद की आपूर्ति की जाती है। बाद में बैंक धीरे-धीरे यह राशि वापस करता है। इसके लिये लिमिट तो 6-7 करोड़ की है पर पिछले 4-5 सालों से लिमिट से अधिक यह राशि बढ़ जाती है। एक बार तो यह 30 करोड़ को भी पार कर गई थी। मार्कफेड सूत्रों के अनुसार 1 अक्टूबर से शुरू हुए रबी सीजन के दौरान मार्कफेड की सहकारी बैंक से लेनदारी 13 करोड़ 18 लाख के करीब थी।
इसके बाद 1 अक्टूबर से 31 जनवरी के बीच के चार माह में मार्कफेड द्वारा 18 करोड़ 7 लाख के करीब कीमत की खाद की आपूर्ति की गई। इस दौरान बैंक द्वारा 16 करोड़ 33 लाख के करीब भुगतान भी किया गया है। 1 करोड़ 18 लाख का भुगतान तो सोमवार 1 फरवरी को ही हुआ है। इस भुगतान के बाद अभी भी सहकारी बैंक से करीब 15 करोड़ का भुगतान प्राप्त करना है। वैसे जिस तरह बैंक द्वारा लगातार भुगतान किया जा रहा है फिलहाल खाद की आपूर्ति रुकने की नौबत ही नहीं आएगी।
91 समितियां ही सक्रिय
वैसे तो जिले में सहकारी समितियों की संख्या डेढ़ सैकड़ा से भी अधिक है पर कर्मचारियों द्वारा की गईं वित्तीय अनियमितताओं और किसानों की ओर से कर्ज अदायगी न करने के चलते आधा सैकड़ा से अधिक समितियों द्वारा खाद बिक्री का काम ही नहीं किया जा रहा। रबी सीजन के दौरान 91 के करीब समितियों द्वारा अपने सदस्य किसानों को खाद उपलब्ध कराई गई है।
सूत्रों का कहना है कि साल में धान उपार्जन तथा गेहूं उपार्जन के दौरान फसल की कीमत मिलने पर किसानों से कर्ज वाली राशि की कटौती होती है और इस दौरान सहकारी बैंक मार्कफेड को भुगतान भी करता आ रहा है। धान उपार्जन का काम जनवरी के मध्य ही समाप्त हुआ है और इस दौरान बैक द्वारा 16 करोड़ का भुगतान भी किया गया है। अब मार्च के आखिरी सप्ताह गेहूं उपार्जन शुरू होगा और माना जा रहा है कि 25 मई के मध्य सहकारी बैंक के सर से सारी देनदारी का बोझ उतर जाएगा।
सहकारी बैंक की ओर से पूर्व में ली गई खाद का लगातार भुगतान किया जा रहा है। सोमवार को ही 1.18 करोड़ का भुगतान प्राप्त होने के बाद लेनदारी घटकर 15 करोड़ से कम रह गई है। अभी यह स्थिति नहीं आई कि खाद की आपूर्ति रोकनी पड़े।
नारेन्द्र प्रताप सिंह, जिला प्रबंधक मार्कफेड